के:के है:है में:में की:की से:से को:को और:और का:का हैं:है+ं पर:पर कि:कि के:के में:में है:है की:की को:को से:से ने:ने का:का और:और कि:कि पर:पर जगाँ-जगाँ फड़ लगत जुआ के, अब तौ रोजइँ खिल रओ, मुखिया-म्हाते सबई खेल रए, कोउ कछू ना कै रओ, सिगई ग्रान्ट सिरपंच हार गव, काँ से होय भलाई।।2।। हारै गओ सरजुआ धानुक Scribd is the world's largest social reading and publishing site. 2 posts published by Kamlakant Tripathi during March 2016 %%%%%%%%%%%%%%%% Godan By Premchand %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%% %%%%%%%%% Source: http://hindisamay.com/contentDetail.aspx id=244&pageno=1 %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%5 नमलते-जुलते रहने का परसाद है कक अब तक जान बची हुई है, नहीं कहीं पता न लगता कक ककधर गए। गाूँव में . इतने आदमी तो हैं, ककस पर बेदखली नहीं आई, ककस पर कु ड़की नहीं होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी दे कर अपनी स्त्री धनिया से कहा - ग नर क का माग गाढा रं ग-चढा हुआ था। बाल भी पक चले थे, पर मुि पर सरल हासय की रे िा झलक रही थी। िह एक सफेद मोटा कुरता पहने थे, न पांि मे जूते थे, न िसर पर टोपी। इस अ�
[index] [3505] [6096] [8780] [9348] [487] [1392] [2300] [5502] [3313] [1920]
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